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Prabha Sharma

परिचय :

प्रभा शर्मा
सेवा निवृत्त व्याख्याता, कवियत्री एवं लेखिका
एम. ए. इतिहास / हिंदी / राजनीति शास्त्र
बी. एड.

संस्मरण :

जनवरी २०१८ में मुझे अमेरिका जाने का अवसर प्राप्त हुआ। वहाँ पर पोर्टलैंड, ऑरेगोन में ६ माह तक रही। वहाँ मैंने चिन्मय मिशन पोर्टलैंड द्वारा स्थापित कृष्ण मंदिर में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया। वहाँ की कार्य प्रणाली अदभुत है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था की विदेश में भी ऐसा हो सकता है। वहाँ अपने लोग लगन तथा मेहनत से भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार में कार्यरत हैं। वे स्वयंसेवक के रूप में बिना किसी मदद या सरकारी सहायता के, मानव सेवा और सनातन-धर्म संस्कृति के उत्थान में लगे हुए हैं।

मंदिर में यहाँ भारतीय उत्सव मनाये जाते हैं। होली, दिवाली, उत्सव मूर्ती, दक्षिण भारतीय उत्सव आदि अनेक समारोह होते हैं। इन अवसरों पर सामूहिक भोज का भी आयोजन होता है। मंदिर में पंडितों द्वारा पूजा, हवन, आरती तथा यज्ञ किये जाते हैं। यहाँ अँग्रेज़ी माहौल होने से बच्चे हिंदी से अपरिचित न रहें इसलिए मंदिर की इमारत में हिंदी कक्षा भी लगती हैं। यहाँ गीता पाठ एवं विभिन्न मंत्रोच्चार होते हैं। पंक्तिबद्ध अनुशासन में बैठे हुए बच्चे गीता पाठ तथा भजन सुनते हैं और अनुसरण भी करते हैं। ये सब देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। धन्य हैं वे अध्यापक एवं कार्यकर्ता जो निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा प्रदान करके बच्चों के भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

मंदिर में समय-समय पर विद्वान और विदुषी अतिथियों द्वारा सुन्दर प्रवचन होते हैं। मंदिर में गीता पाठ तथा वेद मंत्रों का पठन-पाठन होता है। इनसे सम्बंधित गूढ़ तत्वों पर विचार-विमर्श, मनन-चिंतन, प्रश्नों का आदान-प्रदान तथा शंका समाधान आदि आध्यात्मिकता से युक्त विचार प्रस्तुत होते हैं। श्री चिन्मयानन्द स्वामी एवं अन्य स्वामी और विद्वानों के रचनात्मक, आध्यात्मिक, शिक्षाप्रद चलचित्र दिखाए जाते हैं। चिन्मय मिशन में कार्यरत सभी महानुभावों को मेरा शत-शत नमन। धन्य हैं ये विनम्र लोग जो तन-मन-धन से इन शुभ कार्यों में लगे हैं। यह सब देख कर मैं भी इस पवित्र कार्य में अपना योगदान देने हेतु प्रेरित हुई हूँ और प्रार्थना करती हूँ की भविष्य में ऐसा करने में ईश्वर मुझे सामर्थ्य प्रदान करे।

कविता :

परिवर्तन

राज बदल गए, ताज बदल गए, महलों के श्रृंगार, बदल गए,
जन बदले, जन जीवन बदला, लोगों के व्यवहार बदल गए।

धरती, अम्बर, पर्वत बदले, नदी के रूपाकार बदल गए,
नीम, आम, जामुन और पीपल, बरगद के विस्तार बदल गए।

वन बदले, वन-जीवन बदला, पशुओं के आहार बदल गए,
मुखरित होता कलरव जिससे, उस वीणा के तार बदल गए।

गर्वित जलनिधि गरज-गरज कर, लील रहे लाखों का जीवन,
अपनी मर्यादा को खो कर, ये मर्यादाहीन हो गए।

कभी है आंधी, कभी है तूफां, कभी भी तेज हवाएं हैं,
कभी दावाग्नि, कभी है वर्षा, मौसम के अंदाज बदल गए।

कहाँ गए वो मन के मेले, तन है सुज्जित, मन है खाली,
चमक-दमक की उस दुनिया में, बाजारों के भाव बदल गए।

चौके बदले, चूल्हे बदले, गली चौबारे, पनघट बदले,
जिन पर तपती राम रसोई, आज वही अंगार बदल गए।

लज्जा, मर्यदा में सिमटा, सहज अलौकिक प्रेम कहाँ है,
दुष्कर्मों के षड्यंत्रों में, ये नव प्रेमाचार बदल गए।

कन्याओं का करते हैं वध, और फिर करते कन्या पूजन,
हृदयहीन बन, पुण्य की आशा, ममता के आधार बदल गए।

श्रद्धा, आदर, दया और भक्ति, सत्य, अहिंसा, प्रेम की शक्ति,
जिनसे चलती जीवननैया, वे सारे पतवार बदल गए।